जब चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा होता है, तो भारत के साथ क्यों नहीं खड़ा होता कोई देश?
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भूमिका: 2025 में भारत — वैश्विक मंच पर अकेला क्यों?
2025 का भारत — आर्थिक रूप से मजबूत, सामरिक दृष्टि से शक्तिशाली, और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र। फिर भी जब बात पाकिस्तान जैसे आतंकी समर्थक देश से टकराव की होती है, तो भारत को कोई भी देश खुलकर समर्थन नहीं देता।
दूसरी ओर, चीन पाकिस्तान का खुला समर्थक बनकर खड़ा होता है — हथियार, कूटनीति और आर्थिक मदद के जरिए। लेकिन जब भारत पर हमला होता है, तो दुनिया चुप क्यों रहती है?
आइए इस दोहरे मापदंड को समझते हैं।
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1. चीन का पाकिस्तान प्रेम: भारत को घेरने की चाल
सैन्य और तकनीकी सहायता:
चीन पाकिस्तान को ड्रोन, मिसाइल, JF-17 जैसे फाइटर जेट और परमाणु तकनीक देता है — यह दोस्ती नहीं, एक रणनीतिक खेल है।
CPEC और भारत की संप्रभुता पर हमला:
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भारत के पीओके क्षेत्र से होकर गुजरता है, जो भारत के लिए सीधी चुनौती है।
संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर:
भारत जब आतंकियों को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करना चाहता है, तो चीन हमेशा पाकिस्तान के पक्ष में वीटो लगाता है।
यह कोई भाईचारा नहीं, बल्कि भारत को कूटनीतिक रूप से घेरने की साजिश है।
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2. भारत के साथ दुनिया चुप क्यों?
अमेरिका की दोगली नीति:
भारत से व्यापार, पाकिस्तान से रणनीति — अमेरिका दोनों को हथियार बेचता है और इस क्षेत्र को अस्थिर बनाए रखता है।
ब्रिटेन की वोट बैंक राजनीति:
ब्रिटेन के मुस्लिम मतदाता पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, और इसलिए सरकारें भारत के खिलाफ नरम रुख अपनाती हैं।
गulf देशों की चुप्पी:
जो देश फिलिस्तीन के लिए आंसू बहाते हैं, वही कश्मीरी पंडितों या आतंक के शिकार भारतीयों के लिए चुप रहते हैं।
तेल और मजहब, इंसानियत से ऊपर है।
रूस का संतुलन:
भारत उसका सबसे बड़ा ग्राहक है, फिर भी वह पाकिस्तान को भी साथ रखता है ताकि पश्चिम का प्रभाव कम हो।
संयुक्त राष्ट्र की पक्षपातपूर्ण नीति:
कभी कश्मीरी हिंदुओं के पलायन की बात नहीं करता, कभी आतंकवाद को पाकिस्तान से जोड़ने से डरता है।
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3. जब भारत अकेला खड़ा था – दर्दनाक उदाहरण
उरी हमला (2016):
19 सैनिक शहीद हुए, लेकिन दुनिया ने सिर्फ "condemnation" की औपचारिकता निभाई।
पुलवामा हमला (2019):
40 CRPF जवान मरे — जैश-ए-मोहम्मद का नाम सामने आया, फिर भी कोई देश खुलकर पाकिस्तान को दोषी नहीं ठहराता।
बालाकोट स्ट्राइक:
भारत ने कार्रवाई की, लेकिन दुनिया ने भारत को ही “de-escalation” का उपदेश दिया।
पीओके का मुद्दा:
जो भारत का हिस्सा है, वो पाकिस्तान के कब्जे में है, लेकिन इस पर दुनिया खामोश है।
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4. भारत की राजनीतिक कमजोरी – वैश्विक छवि पर असर
भारत में अक्सर सरकार और विपक्ष की राय अलग होती है, जिससे दुनिया में संदेश जाता है कि भारत अंदर से ही असहमत है।
एकीकृत दृष्टिकोण की कमी, भारत की विदेश नीति को कमजोर करती है।
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5. वैश्विक मीडिया का भारत-विरोधी नैरेटिव
अंतरराष्ट्रीय मीडिया अक्सर भारत को असहिष्णु, कट्टर या दमनकारी बताता है, जबकि पाकिस्तान को "आतंक का शिकार" दिखाया जाता है।
यह छवि बनाकर नेताओं पर भारत के खिलाफ न बोलने का दबाव बनाया जाता है।
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6. अब भारत को क्या करना चाहिए – रणनीति स्पष्ट हो
विदेश नीति में साहस लाएं:
भारत को अब दबाव झेलने वाला नहीं, दबाव बनाने वाला देश बनना चाहिए।
मीडिया गठजोड़ बनाएं:
अपना नैरेटिव वैश्विक स्तर पर फैलाएं — प्रभावशाली पत्रकारों और सोशल मीडिया नेटवर्क्स से जुड़ें।
इज़राइल, जापान, फ्रांस जैसे देशों से गठबंधन मजबूत करें।
प्रवासी भारतीयों को रणनीतिक हथियार बनाएं:
विदेशों में बसे 30+ मिलियन भारतीय, भारत के पक्ष में माहौल बना सकते हैं।
UN की पक्षपात नीति को उजागर करें:
भारत को अब खुलकर संयुक्त राष्ट्र की दोहरी नीति पर सवाल उठाना चाहिए।
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निष्कर्ष: अब भारत को बोलना ही नहीं, ललकारना होगा
भारत अब तक चुप रहा, संयमित रहा, शांतिप्रिय रहा। लेकिन अब समय है कि दुनिया को बताया जाए:
“हम सहने वाले नहीं, अब कहने और करने वाले हैं।”
अगर दुनिया खामोश रहेगी, तो भारत को अपनी आवाज खुद उठानी होगी।
अब समय है — नेतृत्व का, ललकार का, और निर्णायक कार्रवाई का।
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FAQs – हिंदी
प्र.1: अमेरिका भारत का खुला समर्थन क्यों नहीं करता?
उत्तर: अमेरिका अपने रणनीतिक हितों के चलते दोनों देशों से संबंध बनाए रखना चाहता है।
प्र.2: चीन का पाकिस्तान को समर्थन भारत के लिए कितना खतरनाक है?
उत्तर: बहुत — वह हथियार, तकनीक और संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को समर्थन देता है।
प्र.3: भारत इस पक्षपात को कैसे बदल सकता है?
उत्तर: स्पष्ट कूटनीति, मीडिया रणनीति, और अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों के ज़रिए।
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